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मेरे इस देश में कई प्रकार के लोग हैं जितना ये देश अपने आप में महान हैं उतने ही महान हैं यहाँ के लोग पर आजकल लोगों को क्या हो गया है यह समझ से परे है। हर आदमी भाग दौड़ में व्यस्त है, जीवन में कितने ही पल होते हैं जो आदमी गवाँ रहा है। हर वक्त व्यर्थ की चिंता करना ये आज कल जीवन का पर्याय बन चुका है। भारत और भारतीयता कहीं खो सी गई लगती है। वैसे तो पूर्व के लोगों के लिए अलग टाइम जोन की मांग समय समय पर उठती रही है लेकिन, हाल ही में अरुणाचल के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू ने इस मांग को फिर उठाया है। वे राज्य के मुख्यमंत्री हैं और उन्हें राज्य के लोगों के हक के लिए आवाज बुलंद करनी भी चाहिए। मैं उनकी मांग से बिल्कुल सहमत भी हूं। हमें समझना होगा कि हमारा शरीर घड़ी की सुइयों के अनुसार नहीं बल्कि सूरज के उगने छिपने के अनुसार काम करता है, जो एक जैविक घटना है। इसीलिए लोगों की शारीरिक क्षमता के पूर्ण उपयोग के लिए घड़ी की सुइयों में या फिर दफ्तर के समय में फेरबदल करना बहुत आवश्यक है। हम सब जानते हैं कि अरुणाचल प्रदेश में सूरज चार बजे ही निकल आता है। वहां के लोगों की दिनचर्या देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे वे एक राष्ट्र की संकल्पना में भेदभावपूर्ण जीवन जीने को विवश है। हम ऐसा करके केवल वहां के लोगों की प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं बल्कि हम बेशकीमती ऊर्जा को भी बर्बाद कर रहे हैं। यह सही है कि अलग टाइम जोन लागू करने से बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। अलग टाइम जोन से केवल एअरलाइंस, शेयर मार्केट, रेलवे आदि बल्कि देश के अन्य भागों से यहां आने वाले लोगों को भी शुरुआती दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन, इससे हम पूर्वोत्तर एक बेहतर आर्थिक विकास की नींव भी रखने में कामयाब होंगे। वैसे सरकार इसके लिए बीच का रास्ता भी निकाल सकती है। वह यह कि पूर्वोत्तर के दफ्तरों बाजारों के समय को शेष देश की तुलना में एक या दो घंटे पहले कर दिया जाए। इससे वहां के लोगों की समस्या भी सुलझ जाएगी बाकि सब भी ज्यों का त्यों बना रह सकेगा। हां, व्यावहारिक दिक्कतें इसमें भी सकती हैं, क्योंकि इससे वहां के सभी बैंक, स्कूल, कोर्ट और विधानसभा जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं को बाकि देश से पहले चलाना पड़ेगा। किंतु सरकार को सभी लोगों के हितों को देखते हुए जल्द ही कोई फैसला ले लेना चाहिए। अमेरिका जैसे देशों में कई टाइम जोन हैं तो हमें दो टाइम जोन अपनाने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

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